आज फिर उस बात पे रोना आया ग़म का अंधेरा फिर घनेरा छाया ज़िन्दगी इश्क़ की उम्मीद में गंवाई हमने हर कदम खुद को अफसोस अकेला पाया।
आज फिर उस बात पे रोना आया। …
हमसे मत पूछ कहानी दिल की
क्या पता फिर वो पल याद आया
कैसे भूलूँ मैं हकीकत है यही
बेवजह दिल ने मेरे धोखा खाया
आज फिर उस बात पे रोना आया …
करते थे रोज़ इबादत तुझी को
इसलिए नाम तेरा जुबां पर आया
लिखते थे ख़्वाबों को बनाकर शायरी
अबकी बार ग़म वो स्याही लाया।
आज फिर उस बात पे रोना आया …
© Vidya Venkat (2019)
dil ko badi gehrai tak asar ker gayi
Beautiful gazal I will try to compose it in my way
Thank you. I’ve composed a tune for it as well… it happened almost immediately after I wrote this poem. 🙂