बचपन में, घर के पास जो खाली घर था,वहाँ मैं और मेरी दीदी, ऊंची आवाज़ में,अपने नाम को पुकार कर उसकी गूँज सुना करते थे।आज सालों बाद खाली घर में अपने नाम के बजायकिसी दूसरे के नाम को गूँजता सुन करये ख्याल आया : बचपन और जवानी में यही फर्क़ हैकि उम्र के साथ केवलContinue reading “खाली घर”
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तंगदिल
वो कोई तंगदिल ही होगा,जिसने प्यार के बदले प्यार ना दिया।अब हम गिला करें भी तो किस से,जब मुझे ठुकराने के चक्कर मेंवो खुद बर्बाद हुआ… © Vidya Venkat
गुज़ारिश
नीले आसमान के तले,सवेरा नींद से जागा है।सूर्य की नर्म किरणों सेओस की बूंदे द्रवित हुई।ऐसे ही कभी एक दिनतुम आना मेरी जिंदगी में।सर्दी है, रात बहुत लंबी हो गई… © Vidya Venkat
आज़ाद
जिन्हे कल तक मेरी बातों से एतराज़ थाउन्हे आज मेरी ख़ामोशी से नाराज़गी है।मैं आज़ाद हूँ, मेरी आवाज़ भी अबकिसी की मर्ज़ी का मोहताज नही। © Vidya Venkat
फितरत
जिन्हे ये जहान बुरा करार करता हैउनमें होती है खूबियां कई।और जो खुद को अच्छा बतलाते हैंउनमें होती है खामियां कई। ओ दुनियावालों किसी की बातों में आकरमत करना दूसरों को खुद से परे।कहीं ऐसा न हो, अच्छाई और बुराई के बीचकशमकश में इंसान अपनी फितरत खो बैठे… © Vidya Venkat