बचपन में, घर के पास जो खाली घर था,
वहाँ मैं और मेरी दीदी, ऊंची आवाज़ में,
अपने नाम को पुकार कर उसकी गूँज सुना करते थे।
आज सालों बाद खाली घर में अपने नाम के बजाय
किसी दूसरे के नाम को गूँजता सुन कर
ये ख्याल आया : बचपन और जवानी में यही फर्क़ है
कि उम्र के साथ केवल यादें रह जाती हैं…
© Vidya Venkat