ख्वाहिश

बस इतनी सी है ख्वाहिशकि थोड़ा सा जहान मिल जाए।थोड़ी सी ज़मीन, और थोड़ा सा आसमान मिल जाए। बस जाएंगे किसी कोने में कहीं,बस थोड़ा सा आफताब मिल जाए।थोड़ी सी ज़मीन, और थोड़ा सा आसमान मिल जाए। थक गयी है रूह दुनिया की दीवारों से भिड़ते भिड़ते।और कितने दिन गुजरेंगे यूहीं जमाने  से लड़ते लड़ते?ठहरContinue reading “ख्वाहिश”